Avoid Packaged Products: कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं रहा है ये जूस, हो सकता है दिमागी तौर पर कमजोर, पढ़िए पूरी खबर

Avoid Packaged Products: कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं रहा है ये जूस, हो सकता है दिमागी तौर पर कमजोर, पढ़िए पूरी खबर

Avoid Packaged Products: हर माता-पिता अपने बच्चों को स्वस्थ देखना चाहते हैं। इसके लिए तरह-तरह के उपाय अपनाते रहते हैं। उनकी यही कोशिश रहती है कि बच्चे को भरपूर मात्रा में न्यूट्रीशन मिले। वह चाहे दूध, फ्रूट या फ्रूट जूस के जरिए हो।

कोविड महामारी के दौरान बाजार में अचानक पैकेज्ड ऑरेंज जूस की बिक्री बहुत बढ़ गई। पेरेंट्स बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उसे ऑरेंज जूस पिला रहे थे। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या बाजार में मिलने वाले डिब्बाबंद ऑरेंज जूस से बच्चे को सचमुच में कोई न्यट्रीशन मिल रहा है।

इसी को लेकर बॉस्टन के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में एक स्टडी हुई है।

स्टडी के अनुसार, रोज एक गिलास या उससे अधिक पैकेज्ड फ्रूट जूस पीने से बच्चों और युवाओं में मोटापा बढ़ता है। ऐसे में अगर बच्चों को आप पैकेज्ड फ्रूट जूस दे रहे हैं तो वह बंद कर दीजिए। यह बच्चों के स्वास्थ्य को फायदे की जगह नुकसान पहुंचाएगा।

बच्चों के लिए क्यों नुकसानदायक है फ्रूट जूस

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, बच्चों को निर्धारित कैपिसिटी से ज्यादा फ्रूट जूस पीने की सलाह नहीं दी जाती। बाजार में मिलने वाले फ्रूट जूस का स्वाद अच्छा होने की वजह से बच्चे इसे खूब पसंद करते हैं, लेकिन इनमें मौजूद हाई शुगर से इंसुलिन रेजिस्टेंस का खतरा पैदा होने लगता है। यही इंसुलिन रेजिस्टेंस आगे चलकर डायबिटीज की वजह बनता है। साथ ही इससे दांतों में सड़न की समस्या भी हो सकती है।

अमेरिकन हार्ट एसोसिशन अनुसार, 2 से 18 साल के बच्चों को एक दिन में 25 ग्राम से ज्यादा शुगर नहीं देनी चाहिए क्योंकि इससे ज्यादा शुगर देने से आगे चलकर दिल से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही 2 साल से कम उम्र के बच्चे को शुगर वाली खाने-पीने की कोई भी चीज नहीं देनी चाहिए।

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पैकेज्ड फ्रूट जूस की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए इसमें कई तरह के केमिकल्स मिलाए जाते हैं। यह केमिकल्स बच्चों की हेल्थ के लिए बहुत खतरनाक हैं।

फ्रूट जूस से हो सकती हैं कई तरह की बीमारियां

आमतौर पर लोगों में यह धारणा है कि बच्चा अगर नियमित फ्रूट जूस पी रहा है तो उसकी सेहत निखरेगी। सच इसके ठीक उलट है।

जिन फ्रूट जूस में हाई सोर्बिटोल (एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट) होता है, उन्हें पीने के बाद बच्चों को दस्त की समस्या हो सकती है। सेब, नाशपाती, आडू, चेरी के जूस में हाई सोर्बिटोल पाया जाता है। जो बच्चे दूध पीते हैं, उन्हें हाई सोर्बिटोल वाले फलों का जूस बिल्कुल नहीं देना चाहिए।

हमने यह जाना कि पैकेज्ड फ्रूट जूस से बच्चों की सेहत पर क्या असर पड़ता है। आइए अब मथुरा की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अंशु शर्मा से जानते हैं कि पैकेज्ड फ्रूट जूस का विकल्प क्या हो सकता है।

दूध का विकल्प नहीं है फ्रूट जूस

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अंशु शर्मा बताती हैं कि आजकल मां-बाप दूध न मिलने पर बच्चे को फ्रूट जूस पिलाते हैं। उन्हें लगता है कि दूध की तरह फ्रूट जूस से भी बच्चे को एनर्जी और ताकत मिलेगी।

जबकि फ्रूट जूस कतई दूध का विकल्प नहीं है। दूध में विटामिन्स, कैल्शियम और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो बच्चों की हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। वहीं, फ्रूट जूस में फलों की तुलना में बहुत कम या यू कहें कि बिल्कुल भी फाइबर नहीं होता है। केमिकल्स और हाई लेवल शुगर तो होता ही है।

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इससे बच्चों का ब्लड शुगर लेवल तो बढ़ता ही है, साथ ही उन्हें भूख न लगने, पेट बढ़ने, पेट फूलने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

फ्रूट जूस से करें तौबा, बच्चों को खिलाएं फल

2 से 12 साल की उम्र के बीच बच्चे की फिजिकल ग्रोथ सबसे ज्यादा होती है। ऐसे में इस उम्र में बच्चे को सही आहार देना बहुत जरूरी है।

इसके लिए बच्चे की डाइट में प्रोटीन, आयरन, विटामिन्स और कैल्शियम वाले फलों को शामिल करें। पैकेज्ड फ्रूट जूस की जगह बच्चों को ताजे फल खिलाएं। फलों में मौजूद फाइबर उनके पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं।

अगर बच्चा फल नहीं खा रहा तो घर में बना फलों का ताजा जूस दे सकते हैं। लेकिन पैकेज्ड फ्रूट जूस किसी हाल में नहीं। हालांकि अमेरिकन एकेडमी ऑफ पिडिएट्रिक्स ने बच्चों को पैकेज्ड फ्रूट जूस देने की एक सेफ सीमा तय कर दी है, लेकिन डॉ. रॉबर्ट लस्टिग की मानें तो पैकेज्ड जूस की एक बूंद भी सेफ नहीं है। वो कहते हैं कि पैकेज्ड जूस की जगह हमेशा ताजे फल ही खाएं।

केला, सेब, संतरा, अंगूर, अमरूद, पपीता, खरबूज जैसे सभी मौसमी फल सेहत के लिए अच्छे और न्यूट्रीशन से भरपूर हैं।

फलों में विटामिन सी, विटामिन ए, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होता है। इन्हें खाने से बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ती है, हेल्दी गट माइक्रोब्स बढ़ते हैं।

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पैकेज्ड जूस पीने से बच्चा होगा पढ़ाई में कमजोर

जाते-जाते इस रिसर्च पर भी गौर फरमाना जरूरी है। अमेरिकन साइकिएट्रिस्ट और न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. डैनियल एमिन दो लाख से ज्यादा इंसानी दिमागों को स्कैन कर चुके हैं। डॉ. एमिन ने अपनी रिसर्च में पाया कि हाई शुगर पैकेज्ड जूस पीने वाले बच्चों के दिमाग में नए न्यूरोट्रांसमिटर्स बनने की गति हेल्दी फ्रूट खाने वाले बच्चों के मुकाबले 50 फीसदी कम थी। यह फर्क काफी चौंकाने वाला है।

नए न्यूरोट्रांसमिटर्स बनाने की ब्रेन की क्षमता का अर्थ है- कुछ भी नया सीखने और समझने की क्षमता। डॉ. एमिन ने पाया कि शुगर बच्चों के कॉग्निटिव फंक्शन को कमजोर करती है। इससे उन्हें स्कूल में थकान होती है, कमजोरी का एहसास होता है, ब्रेन फॉग होता है, वे क्लास में ढंग से एकाग्र नहीं कर पाते और इसका सीधा असर उनके सीखने की क्षमता पर पड़ता है।

इसलिए अपने बच्चों को पैकेज्ड फ्रूट जूस से दूर रखें और सिर्फ ताजे फल खिलाएं।

I am working as an Editor in Bharat9 . Before this I worked as a television journalist with a demonstrated history of working in the media production industry (India News, India News Haryana, Sadhna News, Mhone News, Sadhna News Haryana, Khabarain abhi tak, Channel one News, News Nation). I have UGC-NET qualification and Master of Arts (M.A.) focused in Mass Communication from Kurukshetra University. Also done 2 years PG Diploma From Delhi University.

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