Health Tips : समझिये गले लगने की पीछे की साइकोलॉजी, गले लगने से क्यों मिलती है खुशी
Health Tips : बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस के आखिर में एक सीन है- संजय दत्त(मुन्नाभाई) के पिता को पता चल गया है कि उनका बेटा डॉक्टर नहीं है। सब डरे हुए हैं कि क्या होगा। पिता पूछते हैं- बेटा सिर झुकाए क्यों खड़ा है? जवाब में संजय कहते हैं- बाबूजी मैं डॉक्टर नहीं बन पाया। इसपर पिता कहते हैं कि मुझे अपने बेटे पर नाज है। डॉक्टर तो लोगों की जिंदगियां बचाते हैं, तूने लोगों को जीना सिखाया है। तू हमेशा मां को झप्पी देता रहा है, आज बाप की हसरत भी पूरी कर दे। दोनों गले लग जाते हैं और सब खुशी से रो पड़ते हैं।
पूरी में फिल्म में जब भी कोई उदास, परेशान, बिखरा हुआ या नाराज दिखता है। संजय उसे जादू की झप्पी देते हैं और सब ठीक हो जाता है। असल में प्रेम जताने का सबसे खबसूरत तरीका है गले मिलना।
गले लगकर आप किसी से वह सब कह सकते हैं, जो किसी भी भाषा के शब्दों में नहीं बुना जा सकता। यह एक-दूसरे पर भरोसे या विश्वास का भी प्रतीक है। तभी वैंलेटाइन वीक में एक दिन गले लगने का दिन होता है।
इसलिए आज गले लगने के पीछे के साइंस के बारे में समझेंगे और उससे होने वाले शारीरिक-मानसिक फायदों के बारे में भी जानेंगे। साथ ही यह भी जानेंगे कि-
-गले लगने से क्यों मिलती है खुशी?
-तनाव में कितना कारगर है गले लगना?
-हार्ट हेल्थ को कैसे इंप्रूव करता है?
-इससे इम्यून सिस्टम पर क्या फर्क पड़ता है?
प्रेमियों के बीच प्यार जताने और एक-दूसरे पर भरोसा करने का मजबूत जरिया भी गले लगना ही रहा है।
गले लगने के पीछे क्या है विज्ञान
गले लगने से ऑक्सीटोसिन रिलीज होता है। इसे लव हॉर्मोन भी कहते हैं। इसके रिलीज होने से सोशल बॉन्डिंग का भाव पनपता है। एक इमोशनल रेगुलेशन बनता है। ऑक्सीटोसिन के चलते ही व्यक्ति के प्रति विश्वास, लगाव, प्रेम और सहानभूति की भावना जागती है।
मेडिसिन नेट की रिसर्च के मुताबिक, गले लगने से अकेलेपन की भावना दूर होती है और तनाव के हानिकारक प्रभाव भी कम होते हैं। गले लगने से कई हैप्पी हाॅर्मोन रिलीज होते हैं, जो आपको सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हैं।
डोपामाइन- यह हैप्पी हॉर्मोन है जो आपको अच्छा महसूस कराता है।
सेरोटोनिन- इसे भी हैप्पी हॉर्मोन या एंटीडिप्रेसेंट हॉर्मोन कहते हैं। यह आपके मूड को बेहतर बनाता है और एंग्जायटी को कंट्रोल करता है। अकेलेपन की भावना को भी कम करके आपको आनंद की अनभूति कराता है।
ऑक्सीटोसिन- इसे लव हॉर्मोन कहते हैं, यह तनाव से राहत देता है और हार्ट हेल्थ को बेहतर करता है।
ऑक्सीटोसिन के संचार से वेट कंट्रोल करने, ब्लड प्रेशर नियमित रखने, बीमारियों से लड़ने और तनाव कम करने में मदद मिलती है।
हग करने से होते हैं ये शारीरिक फायदे
नेचुरल पेन किलर है आलिंगन- शारीरिक स्पर्श या हग से एंडोर्फिन हॉर्मोन तेजी से निकलने लगता है। जो नेचुरल पेनकिलर की तरह काम करता है। इससे किसी भी तरह के दर्द की अनुभूति कम हो जाती है।
स्ट्रेस कम करता है- हग से ऑक्सीटोसिन रिलीज होता है। यह हॉर्मोन कोर्टिसोल के लेवल को कम करके तनाव कम कर सकता है। क्रोनिक टेंशन भी घटाता है। इसलिए गले लगने से लॉन्ग टर्म में हेल्थ बेनेफिट्स मिल सकते हैं।
इम्यूनिटी बूस्ट करता है- मेडिसिन नेट की रिसर्च के मुताबिक गले मिलना एक पॉजिटिव फिजिकल इंटेरैक्शन है। इससे आपकी इम्यूनिटी बूस्ट हो सकती है।
हार्ट हेल्थ बेहतर करता है- गले लगने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है और हार्ट रेट नियमित हो जाती है। ऐसा लगातार होते रहने से हार्ट हेल्थ बेहतर हो जाती है।
हग करने से होते हैं ये मानसिक फायदे
मूड होता गुड- हग करने से एंडोर्फिन रिलीज होता है, जो नेचुरल मूड इनहैंसर है। इसलिए आप किसी को गले लगाकर अच्छा महसूस करते हैं।
एंग्जायटी और डिप्रेशन कम होता है- गले मिलने से या और पॉजिटिव फिजिकल इंटेरैक्शन से इमोशनल सपोर्ट मिलता है। यह आपको एंग्जायटी और डिप्रेशन से बाहर आने में मदद करता है।
इमोशनल कनेक्शन- गले लगना अपने मनोभावों को कहने का बेहद मजबूत तरीका है। इसके जरिए आप प्यार और सहानुभूति जैसी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं। इससे रिश्ते में मजबूती आती है। यह मेंटल वेल-बीइंग के लिए भी कारगर है।
स्ट्रेस मैनेजमेंट टूल है हग- अमेरिका में फैमिली थैरेपिस्ट वर्जीनिया सतीर के मुताबिक, आपको मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए रोज 8 बार और अच्छी ग्रोथ के लिए 12 बार हग की जरूरत होती है। उनके अनुसार यह स्ट्रेस मैनेजमेंट टूल की तरह काम करता है। अगर आपको नियमित हग मिलते हैं तो आप तनाव से मुक्त रहेंगे।
नवजात बच्चे का होता है संपूर्ण विकास
नवजात बच्चे को गले लगाने से बच्चे का वजन बढ़ता है और उसका संपूर्ण विकास बेहतर होता है। इसे ‘कंगारू मदर केयर’ के नाम से भी जानते हैं।
आप अपने पेट्स को गले लगाकर भी सुकून महसूस कर सकते हैं। पूरी दुनिया काऊ हग डे मना रही है। क्योंकि एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पालतू जानवरों के गले लगाने से तनाव कम करने में मदद मिलती है।
सदियों से गाय को गले लगा रहे लोग
नीदरलैंड्स में गाय को गले लगाना आम बात है। डच भाषा में इसे ‘कोए नफेलेन’ कहा जाता है। यह सदियों पुरानी प्रथा है, जो किसी को मानसिक तनाव या डिप्रेशन होने पर उपचार के तौर पर इस्तेमाल होता है। धीरे-धीरे इस प्रथा को दुनियाभर में मान्यता मिल रही है।
भारत में भी बढ़ रहा चलन
सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट प्रियंका कपूर कहती हैं कि गले लगाने से इंसानों और जानवरों दोनों को सांत्वना और आराम मिलता है। जो लोग अपने जीवन में अकेले हैं वह जानवरों को गले लगाकर सुखद अनुभव करते हैं। अकेलापन दूर होता है और मानसिक तनाव कम होता है। वह बताती हैं कि आप किसी भी पालतू जानवर को गले लगाकर तनाव कम कर सकते हैं। लेकिन आमतौर पर लोग गायों को गले लगाना पसंद करते हैं। चूंकि भारत में गायों का एक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है इसलिए यह काफी लोकप्रिय हो रहा है।
I am working as an Editor in Bharat9 . Before this I worked as a television journalist with a demonstrated history of working in the media production industry (India News, India News Haryana, Sadhna News, Mhone News, Sadhna News Haryana, Khabarain abhi tak, Channel one News, News Nation). I have UGC-NET qualification and Master of Arts (M.A.) focused in Mass Communication from Kurukshetra University. Also done 2 years PG Diploma From Delhi University.