Health Update : जानिए कैसे साबुत अनाज है सेहत के लिए फायदेमंद, डेली डाइट में कितना साबुत अनाज शामिल करना चाहिए

Health Update : जानिए कैसे साबुत अनाज है सेहत के लिए फायदेमंद,  डेली डाइट में कितना साबुत अनाज शामिल करना चाहिए

Health Update: भारत में प्राचीन समय से साबुत अनाज को अहमियत दी जाती रही है। आज हम ऐसे दौर में हैं जहां ग्लूटेन (एक प्रकार का प्रोटीन) वाले खाने का ज्यादा चलन है। जिससे कब्ज, गैस जैसी समस्याएं लोगों में आम हैं। जबकि साबुत अनाज न केवल शरीर को दुरुस्त रखता है, बल्कि बीमारियों से भी बचाता है। यही वजह है कि डॉक्टर डाइट में रिफाइंड ग्रेन्स की जगह साबुत अनाज को खाने की सलाह देते हैं। साबुत अनाज में भरपूर मात्रा में न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं।

इसलिए आज जरूरत की खबर में हम बात करेंगे साबुत अनाज यानी होल ग्रेन की। साथ ही जानेंगे कि-

-होल ग्रेन और रिफाइंड ग्रेन में क्या अंतर है?

-होल ग्रेन शरीर के लिए कितना फायदेमंद है?

-होल ग्रेन से क्या कोई नुकसान भी हो सकता है?

एक्सपर्ट- डॉ. अनु अग्रवाल- न्यूट्रीशन एंड डाइटेटिक्स

सवाल- साबुत अनाज और रिफाइंड ग्रेन में क्या खाना ज्यादा बेहतर है?

जवाब- अन्न का एक दाना तीन हिस्सों से बना होता है। बाहरी परत को ब्रान या चोकर कहा जाता है। वहीं बाकी दो भागों को एंडोस्पर्म और जर्म कहा जाता है। यह अनाज का भीतरी भाग होता है। रिफाइंड ग्रेन में प्रोसेसिंग के दौरान ब्रॉन और जर्म खत्म हो जाते हैं।

सफेद आटे और सफेद चावल में केवल एंडोस्पर्म होता है। एंडोस्पर्म अनाज का सबसे कम पौष्टिक भाग है। इसमें स्टार्चयुक्त कार्ब्स, कुछ प्रोटीन और थोड़े से विटामिन होते हैं। चोकर में जरूरी एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। साथ ही जर्म में विटामिन बी, कुछ प्रोटीन, खनिज और हेल्दी फैट होता है। रिफाइंड ग्रेन्स की तुलना में साबुत अनाज ज्यादा हेल्दी होता है। क्योंकि रिफाइंड ग्रेन की इतनी प्रोसेसिंग की जाती है कि उसमें मौजूद फाइबर और पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। रिफाइंड ग्रेन से नूडल्स, पास्ता, केक, मैदा जैसी चीजें बनाई जाती हैं। जिन्हें खाना बीमारियों को दावत देने जैसा है। जबकि साबुत अनाज में फाइबर, विटामिन्स, फाइटोन्यूट्रिएन्ट्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को कम करने में सहायक होते हैं।

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सवाल- डेली डाइट में कितना साबुत अनाज शामिल करना चाहिए?

जवाब- नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक डेली डाइट में करीब 70-90 ग्राम साबुत अनाज शामिल करना चाहिए। हालांकि, साबुत अनाज की वैश्विक खपत करीब 38 ग्राम प्रति दिन है। वहीं, 187 देशों में से केवल 23 देशों में साबुत अनाज की डेली खपत 50 ग्राम से अधिक है।

सवाल- साबुत अनाज शरीर के लिए किस तरह फायदेमंद है?

जवाब- साबुत अनाज में रोगों से लड़ने वाले फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसमें प्रोटीन, विटामिन बी, विटामिन ई, मैग्नीशियम, आयरन और फाइबर भी मौजूद होते हैं। साबुत अनाज पर काम करने वाली अमेरिका की संस्था ‘ओल्डवेज होल ग्रेन्स काउंसिल’ के मुताबिक डेली डाइट में साबुत अनाज खाने से कई तरह के फायदे हैं।

सवाल- साबुत अनाज को अपनी डाइट में कैसे शामिल करें?

जवाब- साबुत अनाज को अपनी डाइट में शामिल करने के लिए सबसे आसान तरीका है-

गेहूं को अंकुरित करें, उसे सुखाकर भून लें। फिर उसे मिक्सर में पीसकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्नैक्स बनाने के लिए गेहूं के आटे का इस्तेमाल करें।
साबुत गेहूं के टुकडे़ या दलिया भी खा सकते हैं।
सफेद चावल की जगह ब्राउन राइस डाइट में शामिल करें।
पैक्ड आटे में चोकर मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
सवाल- क्या साबुत अनाज खाने से वजन कम हो सकता है?

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जवाब- वजन घटाने के लिए कम खाना नहीं, बल्कि व्यक्ति को फाइबर से भरपूर खाना डाइट में शामिल करना चाहिए। ज्यादातर लोगों की डाइट में कार्बोहाइड्रेट रिच खाना होता है। साबुत अनाजों में कैलोरी कम और फाइबर की मात्रा भरपूर होती है। यह वजन को कम करने में मददगार है। इससे एक तो पेट भरा रहता है। दूसरा इसे पचाने में ज्यादा कैलोरी खर्च होती है। जौ, ब्राउन राइस कम कैलोरी वाले फाइबर युक्त अनाज हैं, जो वजन घटाने के अच्छे स्त्रोत हैं।

सवाल- क्या साबुत अनाज खाने से सूजन आती है?

जवाब- यह एक मिथक है कि साबुत अनाज खाने से सूजन आती है। साबुत अनाज में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो आंतों की एक्टिविटी और उसके माइक्रोब्स को बढ़ाता है। इसके साथ ही पाचन में सुधार करता है। यदि आपको ग्लूटेन युक्त अनाज खाने के बाद बार-बार पाचन संबंधी समस्याएं होती है, तो जांच के लिए डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं।

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सवाल- क्या साबुत अनाज खाने से किसी तरह का नुकसान भी हो सकता है?

जवाब- कुछ साबुत अनाजों में जैसे गेहूं में ग्लूटेन पाया जाता है, जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही अनाज में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा काफी होती है। जिसकी वजह से ज्यादा मात्रा में गेहूं जैसे साबुत अनाज का इस्तेमाल डायबिटीज के रोगियों के लिए सही नहीं है।

I am working as an Editor in Bharat9 . Before this I worked as a television journalist with a demonstrated history of working in the media production industry (India News, India News Haryana, Sadhna News, Mhone News, Sadhna News Haryana, Khabarain abhi tak, Channel one News, News Nation). I have UGC-NET qualification and Master of Arts (M.A.) focused in Mass Communication from Kurukshetra University. Also done 2 years PG Diploma From Delhi University.

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