महर्षि दधीचि जयंती का आयोजन बहुत धूमधाम से किया गया
महर्षि दधीचि जयंती का आयोजन बहुत धूमधाम से किया गया
देहदान के लिए किया जागरूक
चंडीगढ़: महर्षि दधीचि जयंती पर दाधीच सभा चंडीगढ़ की ओर से स्वास्तिक विहार कॉलोनी जीरकपुर में कई कार्यक्रम हुए। इस अवसर पर हवन, माल्यार्पण, बच्चों की प्रस्तुति, दधीचि प्रश्नोत्तरी, चित्रकला, कविता, नृत्य, भजन आदि के बाद प्रतिभावान को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
राधेश्याम शास्त्री नारायण एस्ट्रोलॉजर चंडीगढ़ ने बताया कि दानवीर महर्षि दधीचि जयंती जीरकपुर में धूमधाम से मनाई गई। कार्यक्रम में अनेकों महिलाओं बच्चों व पुरुषों ने भाग लिया। उत्सव की शुरुआत महर्षि दधीचि की पूजा अर्चना व हवन करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर देहदान जागरूकता के लिए विद्यार्थियों द्वारा कविता, पेंटिंग प्रतियोगिता करवाई गई। बच्चों व युवाओं और महिलाओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। अंत में प्रतियोगियों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के आयोजक दामोदर दाधीच ने वयोवृद्ध हजारी प्रसाद का विशेष सम्मान किया।
महर्षि दधीचि जयंती मनाने बारे राधे श्याम एस्ट्रोलॉजर ने बताया कि भारतीय सनातन धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार महान दानवीर महर्षि दधीचि की जयंती भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को पूरे देश में श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाई जाती है।
कथाओं अनुसार मान्यता है कि महर्षि दधीचि जैसा दानी आज पैदा नहीं हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार वृतासुर नामक राक्षस ने देवलोक को पराजित कर सबको भयभीत कर दिया था और इंद्रलोक पर अधिकार जमा लिया था। सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से इस समस्या का निधान मांगा। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि पृथ्वी लोक पर दधीचि नाम के महर्षि रहते हैं। यदि वह अपनी हड्डियों का दान कर दे तो उन हड्डियों से ब्रज बनाया जा सकेगा। उस ब्रज की शक्ति से ही वृतासुर नामक राक्षस का वध किया जा सकेगा। इसके अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है। इसके बाद देवराज इंद्र ने महर्षि दधीचि के पास जाकर उनकी अस्थियों के लिए प्रार्थना करनी पड़ी। देवताओं के कल्याण और असुरों के वध के लिए पूर्व में इंद्र द्वारा महर्षि दधीचि के अपमान और अत्याचार को भुलाकर दधीचि ने अपनी समस्त हड्डियां देवताओं को दान कर दी। इस तरह दधीचि के हड्डियों से एक हथियार बनाया गया। जिसका नाम ब्रज रखा गया। इस ब्रज से शक्तिशाली राक्षस वृत्तासुर का वध हुआ। महर्षि दधीचि जयंती के कार्यक्रम में आरके शर्मा, मुरारी, सुरेश दाधीच, गोवर्धन, पवन, बाबूलाल, मोहित, दीपक, जसकरण दाधीच, मुकेश, आनंद शर्मा, मनीष काकड़ा,योगेश, मनीष आदि के अलावा दाधीच समाज के अनेकों गणमान्य पुरुष में महिला मौजूद रहे।