Air Ticket Taxes: जानिए आपकी एयर टिकट में शामिल होते हैं कौन से टैक्स, क्या होता है बेस फेयर और रेगुलर फेयर
Air Ticket Taxes: अक्सर जब हम अपने गंतव्य की एयर टिकट बुक करने की सोचते हैं तो एयर फेयर के नाम पर हमें चंद हजार रुपए का ही किराया नजर आता है। लेकिन जैसे ही हम टिकट बुक करने पहुंचते हैं तो किराया पहले दिखाए गए किराए से बहुत अधिक बढ़ चुका होता है। आखिर किसी भी एयरलाइन के इन दो किरायों का खेल क्या है। ये दोनों किराए किस तरह निर्धारित होते हैं, आइए आपको बताते हैं एयरलाइन के एयर फेयर का पूरा गणित…
दरअसल, एयरलाइन के दो तरह के एयर फेयर होते हैं। पहला -बेस फेयर और दूसरा – रेगुलर फेयर। बेस फेयर वह होता है, जो एयरलाइन अपने ऑपरेशन में आने वाले पूरे खर्च के आधार पर निर्धारित करती है। वहीं रेगुलर फेयर में बेस फेयर के साथ तमाम तरह के टैक्स, एयरपोर्ट चार्जेज और सरचार्ज भी शामिल होता है। ज्यादातर एयरलाइंस यात्रियों को लुभाने के लिए अपने इश्तिहार में बेस फेयर दर्शाती हैं, वहीं टिकट बुक करते समय यात्रियों को रेगुलर फेयर नजर आता है, जिसमें बड़ा अंतर होता है।
एयर टिकट में शामिल होते हैं ये टैक्स
किसी भी एयर टिकट में पांच तरह के टैक्स या चार्जेज शामिल होते हैं। इसमें क्यूट चार्जेज, रीजनल कनेक्टिविटी चार्जेज, फ्यूल चार्जेज, एविएशन सिक्योरिटी फीस और यूजर डेवलपमेंट फीस शामिल है। क्यूट चार्जेज का मतलब है ‘कॉमन यूजर टर्मिनल इक्यूपमेंट चार्जेज। ये चार्ज एयरपोर्ट में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के लिए लिया जाता है, जिसमें एक्सरे मशीन, सिक्योरिटी डिटेक्टर्स और एस्केलेटर सहित दूसरे एयरपोर्ट शामिल है।
वहीं एविएशन सिक्योरिटी फीस एयरपोर्ट परिसर में उपलब्ध सुविधा व्यस्था के एवज में ली जाती है। जहां तक बात है यूजर डेवलपमेंट फीस की तो यह शुल्क यात्रियों के लिए एयरपोर्ट के विकास और बेहतर सुविधाओं के लिए लिया जाता है। मसलन, आप यदि एयरपोर्ट पर कोई भी सुविधा ले रहे हैं तो आप उस सुविधा की फीस टिकट बुक कराते समय दे चुके है। लिहाजा, एयरपोर्ट पर मिलने वाली हर सुविधा आपका हक है और नहीं मिलने पर आपको उसकी मांग करनी चाहिए।
हां, यहां स्पष्ट कर दें हर एयरपोर्ट की सुविधा के आधार पर वहां का एयरपोर्ट डेवलपमेंट फीस अलग अलग होता है। एयरपोर्ट इकोनॉमिक रेगुलेटरी ऑफ इंडिया की अनुमति के बाद एयरपोर्ट ऑपरेटर इसको लागू कर सकते हैं।
बेस फेयर और रेगुलर फेयर में कितना होता है अंतर
उदाहरण के तौर पर हम लखनऊ से दिल्ली का किराया ले ले। हमने एक निजी एयरलाइन का 25 दिसंबर 2023 का किराया सर्च किया। इसमें लखनऊ से दिल्ली का किराया महज ₹2974 रुपए था। इसमें एयरलाइन का बेस फेयर महज ₹1365 था और क्यूट चार्जेज के तौर पर ₹50, रीजनल कनेक्टिविटी चार्जेज के तौर पर ₹50, फ्यूल चार्जेज के तौर पर ₹300, एविएशन सिक्योरिटी फीस के तौर पर ₹236 और यूजर डेवलपमेंट फीस के तौर ₹885 पर की मांग की जा रही थी। मतलब टिकट बुक करने वाला यात्री ₹1365 की टिकट पर ₹1612 रुपए का भुगतान कर रहा है।
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