Haryana News: हरियाणा सरकार की प्रदूषण कंट्रोल को लेकर बड़ी पहल, करने जा रही है ये काम
Haryana News: हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने प्रत्येक जिले में विकास एवं पंचायत, सिंचाई एवं जल संसाधन, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी और नगर निगमों/पालिकाओं सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों की समन्वय समितियों के गठन के निर्देश दिए हैं। इन समितियों का उद्देश्य प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण उपायों के लिए विभागों के बीच समन्वय और सहयोग को मजबूत करना है। इसके अतिरिक्त, रोहतक, पानीपत और करनाल जिलों में नालों में सीवरेज का पानी छोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ उनके टेप प्वांइट का सर्वेक्षण भी अनिवार्य किया गया है।
मुख्य सचिव आज यहां सीवरेज के पानी से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए बुलाई गई एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पानीपत जिले के 80 गांवों में उत्पन्न होने वाले 32.7 एमएलडी सीवरेज के उपचार और डायवर्जन से निपटने की कार्य-योजना तैयार कर ली है। इसके लिए पारदर्शी मैकेनिज्म बनाकर निर्धारित समय-सीमा में कार्य पूरा किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि 38 गांवों में तीन स्तरीय तालाबों के सीवरेज उपचार का काम पूरा हो चुका तथा 42 गांवों में तालाबों के पानी को शुद्ध करने का कार्य प्रगति पर है। यह परियोजना दिसम्बर 2024 तक पूरी कर ली जाएगी। सरकार की यह पहल क्षेत्र में प्रभावी अपशिष्ट जल प्रबंधन के सही निस्तारण की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों में सीवरेज नेटवर्क के विस्तार के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए पानीपत जिले में लगभग 328 किलोमीटर सीवर लाइनों में से लगभग 262 किलोमीटर लंबी सीवरेज लाइन बिछाई जा चुकी है। इसके अलावा, वर्तमान सीवेज उपचार प्रणाली के बुनियादी ढांचे के विस्तार के प्रयास किए जा रहे हैं। विशेष रूप से समालखा, पानीपत स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जिसकी क्षमता 5 एमएलडी है, का वर्तमान में ठोस अपशिष्ट निर्वहन मानकों के अनुरूप विस्तार किया जा रहा है। इसका कार्य भी दिसंबर 2024 में पूरा हो जाएगा।
मुख्य सचिव ने बताया कि स्थायी जल प्रबंधन प्रणाली की दिशा में राज्य में सूक्ष्म सिंचाई उद्देश्यों के लिए उपचारित सीवरेज के पानी का पुनः उपयोग करने के लिए रूपरेखा तैयार की गई है। सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से सिंचाई प्रयोजन के लिए उपचारित अपशिष्ट जल की पुनः उपयोग परियोजना के प्रथम चरण-1 का कार्यान्वयन प्रगति पर है, जिसमें जाटल रोड, पानीपत में एसटीपी पर फोकस किया गया है। उन्होंने बताया कि उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग के लिए दूसरे चरण में त्वरित सिंचाई प्रणाली और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाने की प्रतिबद्धता पर भी विशेष फोकस किया जा रहा है। सिंचाई विभाग जिलाभर में उपचारित अपशिष्ट जल कुशल पुनः उपयोग सुनिश्चित करने के लिए इन प्रयासों में तेजी से कार्य कर रहा है। इसके अलावा, पानीपत में नालों में प्रवाहित होने वाले अनुपचारित स्रोतों से निपटने के लिए एक व्यापक कार्य योजना भी शुरू की गई है। उन्होंने अधिकारियों को को तत्काल हस्तक्षेप कर कार्य-योजना के अनुसार इन अनुपचारित स्रोतों के महत्वपूर्ण बिंदुओं की पहचान करने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने बताया कि पानीपत के अंदर विभिन्न स्थानों पर अनुपचारित अपशिष्ट स्रोतों की पहचान करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की गई है। इनमें ड्रेन नंबर 8 में जाने वाले पानी को विभिन्न बिंदुओं से मौजूदा सीवेज उपचार संयंत्रों की और मोड़ने का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा, अमृत परियोजना के तहत सीवर लाइनें बिछाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि घरौंडा, नोहरा, सिवाह, शिमला ड्रेन, ड्रेन नंबर 2, 3, 4 के अनुपचारित अपशिष्ट स्रोतों, जिनका पानी यमुना में जा रहा है, का आकलन और समाधान करने के लिए सर्वेक्षण किया जायेगा ।
बैठक में उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री आनन्द मोहन शरण, पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री विनीत गर्ग, नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुण कुमार गुप्ता, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव श्री विकास गुप्ता सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
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