Scam In the Name Of Fundraisers: अगर आप भी तो इलाज के नाम पर दे रहे है डोनेशन तो हो जाये सावधान, जानिए कैसे इस महिला ने बीमारी के नाम पर लूटे करोड़ों रूपये
Scam In the Name Of Fundraisers: संचाइता रूथ लेनिन उर्फ संचाइता भट्टाचार्जी पूरे इंटरनेट पर वायरल हो रही है। यह युवती इसलिए चर्चा में है क्योंकि इसने जो किया, वह सबको हैरान कर देने वाला है। संचाइता भट्टाचार्जी ने सोशल मीडिया पर अपने कैंसर की बात वायरल की। उसने दावा किया कि वह असम के आदिवासी इलाके की रहने वाली है।
वह बहुत गरीब है। वह अनाथ है और उसके पास इलाज के लिए रुपये नहीं है। इलाज के लिए उसे देश-विदेश से खूब धन मिला और उसके बाद स्टेज-4 के कैंसर की बात बताकर उसने बाद में अपने मौत की खबर भी फैलाई। लेकिन इस मामले में खुलासा यह हुआ कि संचाइता को कभी कैंसर था ही नहीं, न ही उसकी मौत हुई थी। उसने फेक नाम से सिर्फ धन उगाही के लिए अपने कैंसर की बात फैलाई। उसकी ठगी की पोल तब खुली, जब उसके दोस्तों ने ही उसके बारे में सोशल मीडिया पर खुलासा किया। खास बात है कि उसने इसे साबित करने के लिए अपने दोस्तों को भी अंधेरे में रखा और उनके जरिए भी मदद की गुहार लगवाई। युवती ने यह सब इतनी होशियारी और चालाकी से किया कि किसी और को क्या, उसके दोस्तों तक को शक नहीं हुई।
संचाइता रूथ लेनिन ने एक अप्रत्याशित मोड़ में न केवल अपने लिए बल्कि कथित दोस्तों के जरिए भी धन उगाही की। उसकी असली पहचान, उसके ही दोस्तों ने सोशल मीडिया पर उजागर किया। दोस्तों ने बताया कि किस तरह उन्हें खुद यकीन नहीं हो रहा कि संचाइता ने उन लोगों के जरिए भी फ्रॉड करवाया।
दोस्तों ने खोला ठगी का राज
संचाइता से ठगी गए उसकी दोस्त रिया मुखर्जी ने इंस्टाग्राम पर उसकी करतूत शेयर की। संचाइता के दोस्त अंकुर, जो एक पशु अधिकार कार्यकर्ता हैं, उन्होंने भी बताया कि किस तरह संचाइता ने उन लोगों को मूर्ख बनाया।
प्यार में पड़े अंकुर
अंकुर अगस्त 2022 में सांच से मिले। उससे प्यार करने लगे। अचानक संचाइता ने 2023 में अंकुर को बताया कि उसे स्तन कैंसर है। अंकुर को जब यह पता चला तो वह सदमे में आ गए। उन्होंने यह सोचकर संचाइता का समर्थन करने का फैसला किया कि उसके पास बहुत कम पारिवारिक समर्थन है। उसका कोई चिकित्सा बीमा नहीं है। उन्होंने उसके इलाज के लिए धन जुटाया।
सर्जरी से पहले आई मौत की खबर
अंकुर ने बताया कि सर्जरी की रात को उन्हें बताया गया कि संचाइता का निधन हो गया, लेकिन कुछ ही मिनटों बाद उन्हें फोन आया कि वह ठीक है। विवाद और गहरा गया क्योंकि उसके वास्तविक जीवन के दोस्तों ने सबूत के रूप में प्रदान किए गए चिकित्सा दस्तावेजों में विसंगतियों को उजागर करते हुए उसके कैंसर की प्रामाणिकता की जांच करने का फैसला किया। एक प्रयोगशाला रिपोर्ट पर जो क्यूआर कोड था, उसे अंकुर ने स्कैन किया। सामने जो रिपोर्ट आई वह डेंगू जांच की थी।
डेंगू की रिपोर्ट को बना दिया था कैंसर का
अंकुर ने बताया कि वह शॉक थे। संचाइता ने इतना बड़ा फ्रॉड किया था। उसने उस डेंगू की रिपोर्ट में हेरफेर करके उसे कैंसर की रिपोर्ट बना दी थी।
आगे की जांच से पता चला कि संचाइता रूथ लेनिन ने डेंगू परीक्षण रिपोर्ट का उपयोग एक टेम्पलेट के रूप में किया था, अपने असली नाम के साथ बायोप्सी के परिणामों को जाली बनाया था और इसे रूथ लेनिन नाम में बदल दिया था। इस जटिल चाल में उसकी उम्र और अन्य मामूली विवरणों को बदलना, गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज से दो बुनियादी दिखने वाली रिपोर्ट प्रस्तुत करना शामिल था।
बहुत बड़ा बोला झूठ
जो मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट संचाइता ने पेश की थी, अंकुर ने उसकी भी जांच कराई। जांच के दौरान पाया कि उस नाम का कोई कैंसर मरीज मेडिकल कॉलेज में थी ही नहीं। जांच में पता चला कि संचाइतना न तो शाकाहारी हैं, न ही अनाथ हैं और न ही आदिवासी है। इसके अलावा, उसे कैंसर नहीं है और कथित तौर पर वह जीवित है और ठीक है।
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