HighCourt Decision: पत्नी को गुजरा-भत्ता देने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, आप भी जाने इस क़ानूनी अधिकार के बारे में

HighCourt Decision: पत्नी को गुजरा-भत्ता देने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, आप भी जाने इस क़ानूनी अधिकार के बारे में

HighCourt Decision: तलाक के बाद गुजारे-भत्ते के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाया है। उन्नाव के एक मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, “पत्नी को गुजारा-भत्ता देने के लिए पति बाध्य है, भले ही उसकी कोई कमाई न हो। वह मजदूरी करके रोज 350 से 400 रुपए कमाकर पत्नी को गुजारे के लिए भत्ता दे सकता है।”

जस्टिस रेनू अग्रवाल की बेंच ने इस केस की सुनवाई की। उन्होंने 2022 के अंजू गर्ग बनाम दीपक कुमार गर्ग केस में सुप्रीम कोर्ट के के फैसले का हवाला भी दिया, जिसमें कहा गया था कि अगर पति की कमाई जीरो है, उसके पास कोई नौकरी नहीं है तो भी उसे फिजिकल लेबर की तरह काम करके भी पत्नी को गुजारा-भत्ता देना जरूरी है।

इसलिए ‘जरूरत की खबर’ में हम आज तलाक और गुजारे-भत्ते से जुड़े भारतीय कानून के बारे में बात करेंगे और जानेंगे कि-

गुजारा-भत्ता क्या होता है।
पत्नी कब गुजारा-भत्ता पाने की हकदार है।
पत्नी अगर वर्किंग है तो भी क्या पति को उसे गुजारा-भत्ता देना होगा।

सवाल: गुजारा-भत्ता क्या होता है?
जवाब: जब एक व्यक्ति दूसरे कमजोर या अक्षम व्यक्ति को खाना, कपड़ा, घर, एजुकेशन और मेडिकल जैसी बेसिक जरूरत की चीजों के लिए आर्थिक मदद करता है तो उसे गुजारा-भत्ता यानी मेंटेनेंस कहते हैं।

हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत गुजारा-भत्ता दो तरह का होता है-

अंतरिम गुजारा-भत्ता या अस्थायी भत्ता
परमानेंट गुजारा-भत्ता या स्थायी भत्ता
अंतरिम गुजारा-भत्ता: जब मामला कोर्ट में लंबित है तो उस दौरान के लिए जो गुजारा-भत्ता तय किया जाता है, वह अंतरिम गुजारा-भत्ता होता है।

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जैसे तलाक का कोई केस यदि कोर्ट में गया तो अंतिम फैसला आने तक कोर्ट एक धनराशि तय करता है। जब तक मुकदमा चलेगा, पति को वह तय रकम पत्नी को गुजारे-भत्ते के रूप में अदा करनी होगी।

परमानेंट गुजारा-भत्ता: तलाक के अंतिम फैसले में कोर्ट के द्वारा तय की गई राशि पति को आजीवन पत्नी को देनी होती है। इसके साथ कई बार कुछ नियम और शर्तें भी हो सकती हैं। जैसेकि जब तक पत्नी दोबारा विवाह न करे आदि। स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 36 और 37 में गुजारे-भत्ते के बारे में जरूरी प्रावधान किए गए हैं।

भत्ता कितना होगा, यह पति की आय, संपत्ति, जिम्मदारियों आदि को देखते हुए कोर्ट तय करता है।

गुजारा-भत्ता तय करते समय न्यायालय रखता है इन 5 बातों का ध्यान

तलाक या सैपरेशन का कारण।
गुजारा-भत्ता देने और मांगने वाले दोनों पक्षों की कमाई के स्रोत।
महिला की आर्थिक स्थिति, जरूरतें और जिम्मेदारियां।
पति की आर्थिक स्थिति और जिम्मेदारियां, जैसेकि बच्चे, माता-पिता, आश्रित ब्लड रिलेशन वगैरह।

सवाल: पत्नी को पति के वेतन से कितना प्रतिशत गुजारा-भत्ता के तौर पर मिलने का प्रावधान है?
जवाब: आमतौर पर गुजारा-भत्ता के मामले में पति के वेतन का लगभग 20-25 फीसदी पत्नी को कोर्ट द्वारा दिलवाया जाता है।

हाल ही में कोर्ट का जो फैसला आया, उसके मुताबिक अगर पति बेरोजगार है तो भी अपनी पत्नी और बच्चों को गुजारा-भत्ता देना उसका दायित्व है।

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सवाल: अगर पत्नी कामकाजी और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है तो भी क्या पति को उसे गुजारा-भत्ता देना होगा?
जवाब: पत्नी अगर कामकाजी है या वह शादी से पहले नौकरी करती थी, इसका मतलब कि उसकी शैक्षिक योग्यता इतनी है कि वह खुद नौकरी करके अपनी जीविका चला सकती है। इस स्थिति में महिला को गुजारा-भत्ता नहीं मिलता है।

लेकिन अगर दंपती के बच्चे हैं तो पति को पिता के तौर पर अपने बच्चों के भरण-पोषण का खर्च उठाना होगा।

सवाल: इसका मतलब कमाऊ पत्नी कभी भी गुजारा-भत्ता नहीं मांग सकती है?
जवाब: इसका कोई अंतिम नियम नहीं है। अगर पति की आय पत्नी से कई गुना ज्यादा है तो ऐसी स्थितियों में कोर्ट पति को गुजारा-भत्ता देने का आदेश दे सकता है। यदि पत्नी कामकाजी तो है, लेकिन उसकी आय इतनी नहीं है कि वह अकेले अपनी कमाई से सारे खर्च वहन कर सके तो भी कोर्ट गुजारे-भत्ते का आदेश दे सकता है। गुजारे-भत्ते का अंतिम फैसला कोर्ट के विवेक पर निर्भर करता है।

सवाल: पति की मृत्यु के बाद विधवा बहू किससे गुजारे-भत्ते की मांग कर सकती है?
जवाब: भरण-पोषण कानून 1950 की धारा 19 के तहत विधवा बहू अपने ससुर यानी ‘पति के पिता’ से गुजारा-भत्ता मांग सकती है।

सवाल: गुजारे-भत्ते के लिए कोर्ट में अर्जी कब लगा सकते हैं?
जवाब: गुजारे-भत्ते का सवाल तभी पैदा होता है, जब स्त्री और पुरुष पति-पत्नी की तरह एक छत के नीचे न रह रहे हों और साथ मिलकर अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन न कर रहे हों।

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भारतीय कानून यह मानता है कि पत्नी अपनी आजीविका के लिए पति पर निर्भर है। ऐसे में पत्नी तलाक के समय कोर्ट से गुजारे-भत्ते, कंपन्सेशन आदि की मांग कर सकती है।

चलते-चलते…

अब समझते हैं कि क्या सिर्फ पत्नी को ही पति से गुजारा-भत्ता लेने का अधिकार है। पति के गुजारा-भत्ता लेने को लेकर कानून में क्या नियम हैं।

सवाल: क्या कानूनन पति भी गुजारे-भत्ते का अधिकारी हो सकता है?
जवाब: हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के अनुसार पति और पत्नी दोनों एक-दूसरे से गुजारा-भत्ता मांग सकते हैं। लेकिन उसकी कुछ शर्तें हैं। जैसेकि-

यदि पति आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं है और पत्नी आत्मनिर्भर है।
यदि पति दिव्यांग है या किसी भी कारण से अपनी आजीविका कमाने में सक्षम नहीं है।
पति की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है या वह किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा है।
लेकिन इन सभी स्थितियों में जब पति आर्थिक रूप से सक्षम न हो, पत्नी पर गुजारा-भत्ता देने का दायित्व तभी होता है, जब वह आर्थिक रूप से मजबूत हो, सक्षम हो और पैसे कमा रही हो।

I am working as an Editor in Bharat9 . Before this I worked as a television journalist with a demonstrated history of working in the media production industry (India News, India News Haryana, Sadhna News, Mhone News, Sadhna News Haryana, Khabarain abhi tak, Channel one News, News Nation). I have UGC-NET qualification and Master of Arts (M.A.) focused in Mass Communication from Kurukshetra University. Also done 2 years PG Diploma From Delhi University.

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