Working Housewives: जानिए पुरुषों की महिलाओं को लेकर पहली पसंद, 88 % कुंवारे चाहते है उनकी होने वाली बीवियां यें काम करें

Working Housewives: जानिए पुरुषों की महिलाओं को लेकर पहली पसंद, 88 % कुंवारे चाहते है उनकी होने वाली बीवियां यें काम करें

Working HouseWives: मंगलूरु की रहने वालीं इंस्टाग्राम वीडियो क्रिएटर लिंडा फर्नांडिस क्रैस्टा के इंस्टाग्राम पर 2.3 लाख फॉलोअर्स हैं। वह वर्किंग हाउसवाइफ हैं। शादी के बाद उन्होंने घर की ही जिम्मेदारी संभाली लेकिन जब सोशल मीडिया आया तो वह घर के कामों से फ्री होकर कॉमिक रील्स बनाने लगीं। धीरे-धीरे वह पॉपुलर हो गईं तो कई ब्रांड्स ने उनसे संपर्क किया। आज मंगलूरु की सड़कों पर उनके होर्डिंग लगे हैं।

लिंडा कहती हैं कि वह अपनी लाइफ से खुश हैं। उन्हें कभी हाउसवाइफ होने से शिकायत नहीं हुई क्योंकि यह रास्ता उन्होंने खुद चुना था। वह अपने बेटे को अच्छी परवरिश देना चाहती थीं और साथ ही घर संभालना भी पसंद था। परिवार ने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया इसलिए वह आज वर्किंग हाउसवाइफ हैं।

खाना बनाने के शौक ने हैदराबाद में किया मशहूर

हैदराबाद में रहने वालीं नाज अंजुम होम शेफ हैं। उन्होंने 2016 में अंजुम किचन की शुरुआत की। अंजुम कहती हैं कि आजकल लोगों की हाउसवाइफ को लेकर सोच बदली है।

अब वह जमाना गया कि वह केवल घर के कामों और बच्चों को संभालने में दिन गुजार देती थीं। वक्त के साथ समाज की सोच बदली है। मुझे आज घर बैठे कई ऑर्डर मिलते हैं। मैं अगर आज वर्किंग हाउसवाइफ हूं तो इसके पीछे मेरे हसबैंड और सास का सपोर्ट है।

मेरे 3 बच्चे हैं। मैं सुबह 4 बजे उठती हूं, उन्हें स्कूल के लिए तैयार करती हूं और उनके स्कूल जाने के बाद किचन की कमान संभालती हूं। मैंने 80 रुपए से अपना काम शुरू किया था। मेरी खाने की तारीफ अक्सर लोग करते थे। मेरी बिल्डिंग के लोगों ने ही मुझे फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाने की सलाह दी और इसके बाद मेरे पास ऑर्डर्स की लाइन लग गई। आज हैदराबाद में मेरे हाथ का हैदराबादी खाना सुपरहिट है।
डोमेस्टिक मैनेजर से बनीं वर्किंग हाउसवाइफ

सुबह 4 बजे उठना, घर-आंगन बुहारना, नहा-धोकर रसोई में कदम रखना, बच्चों और पति के लिए टिफिन तैयार करना, पूजा और घर के सारे काम निपटाना, शाम का चाय-नाश्ता, बच्चों का होमवर्क और रात के डिनर की तैयारी करना और रात 10 साढ़े दस बजे के बीच किचन क्लोज कर थक-हार के बिस्तर पर पड़ जाना। चेहरे पर मुस्कान और थकान से सिले होंठों गुड नाइट’ कहकर सो जाना….

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यह है एक हाउसवाइफ की जिंदगी। घर, बुजुर्ग, पति और बच्चे सबके बारे में सोचना और खुद को नजरअंदाज कर देना।

यह एक सामाजिक रिवाज है। गृहणी से हाउसवाइफ, हाउसवाइफ से होममेकर होती हुई स्त्री घर की डोमेस्टिक मैनेजर बन गई है।

हाई टेक मॉडर्न वर्ल्ड में हाउसवाइफ ने अपने लिए एक नया खिताब कमाया है। अब वह अपने आप को वर्किंग हाउसवाइफ कहलाना पसंद करती है। घर में रहकर अपनी जिम्मेदारियां निभाते हुए पैसा भी कमा इस औरत का एक अपना ही अलग अंदाज है। बदलते जमाने में हाउसवाइफ के इस अवतार को सोसाइटी पसंद कर रही है और यह हसबैंड को भी पसंद आ रहा है।

जनरल ऑफ कल्चरल इकोनॉमी में छपी स्टडी के अनुसार सोशल मीडिया के लाइक्स और शेयर ने हाउसवाइफ का ‘ब्यूटिफिकेशन’ किया है। पारंपरिक हाउसवाइफ अब स्मार्टफोन और लैपटॉप के साथ ग्लैमरस ही नहीं एंटरप्रिन्योर बन बैठी हैं। इसी छोटी-सी शुरुआत ने उसको वर्किंग हाउसवाइफ बना दिया है।

समाज की बदली सोच

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के मुताबिक देश में 2020-21 में सिर्फ 32 फीसदी विवाहित महिलाओं के पास ही रोजगार हैं। 68% शादीशुदा महिलाएं हाउसवाइफ हैं। वहीं, बिजनेस टुडे ने एक सर्वे में पाया कि आज सिर्फ 12% कुंवारे ही हाउसवाइफ चाहते हैं। अधिकतर लड़कों को कमाऊ बीवी ही चाहिए। पुरुष भले ही वर्किंग हाउसवाइफ चाहे लेकिन वह कई बार अपने पेरेंट्स, रिश्तेदारों और समाज के सामने बेबस नजर आता है। ऐसे में वर्किंग हाउसवाइफ का ऑप्शन बेस्ट है।

समाजशास्त्री सुषमा तुलजहापुरकर कहती हैं कि भारतीय समाज में कुछ सालों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। अब बहू का काम करना ससुरालवालों को भी बुरा नहीं लगता। लेकिन हसबैंड जॉब छोड़कर घर बैठ जाए, यह अभी तक हमारे समाज के गले नहीं उतरता। लड़के का कमाना, उसकी मजबूरी, जिम्मेदारी और इज्जत है।

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बदले जमाने में अब वर्किंग हाउसवाइफ घरेलू होते हुए भी आत्मनिर्भर है। वह घर पर रहकर हर चीज को मैनेज कर रही है और कमाकर घर की आमदनी में योगदान दे रही है।

वर्किंग हाउसवाइफ के हुनर को सलाम

भारत की अधिकतर महिलाएं हुनरमंद हैं। कोई सिलाई-कढ़ाई-बुनाई में अच्छी है, कोई कुकिंग में तो कोई पेंटिंग में। वर्किंग हाउसवाइफ के लिए उनका टैलेंट ही उनकी कमाई का जरिया बन रहा है और आज इस स्त्री को अपने टैलेंट को इनकैश करने का हुनर बखूबी आता है।

वह अब घर पर ही प्रोडक्ट बना रही है या अपनी सेवाएं देकर उनसे कमाई कर रही हैं। यूट्यूबर निशा मधुलिका घर बैठे फूड वीडियोज बनाकर नाम और पैसा दोनों कमाया। इसी तरह कई महिलाएं घर पर बैठकर अलग अलग तरह के बुटीक चला रही हैं यहां तक कि सिलाई-कढ़ाई-बुनाई और बेकिंग तक का काम कर रही हैं और पॉपुलर भी हो रही हैं।

दरअसल, आज के मशीनी दौर में हैंडमेड चीजें मुश्किल से मिलती हैं। बेहतरीन पारंपरिक कारीगरी की डिमांड हर तरफ से आ रही है और हुनरमंद महिलाएं अपने हुनर को भुना रही हैं। वहीं, कई वर्किंग हाउसवाइफ अपने स्किल्स और नॉलेज के दम पर होम ट्यूशन, ब्यूटी पार्लर जैसी सर्विस दे भी रही हैं।

कोरोना ने बदली हाउसवाइफ की परिभाषा

कोरोना में जब लॉकडाउन लगा तो सोशल मीडिया ने हाउसवाइफ को पैसा कमाने की ताकत दी क्योंकि इस दौरान रोजमर्रा के कामों का रूटीन बदला। घर के काम में सब हाथ बंटाते जिससे काम तेजी से निपट जाता और महिला के लिए खाली वक्त हाथ में रहता जिसे उन्होंने बखूबी अपने पसंद के काम किए और उसी को अपने कमाई का जरिया भी बनाया। कोरोना भले ही बहुत बुरा वक्त था लेकिन उसने महिलाओं को कमाई के कई नए रास्ते दिए।

सोशल मीडिया ने बनाया इन्फ्लूएंसर

2018 में जब भारत में टिकटॉक आया तो तुरंत पॉपुलर हो गया। फोन के जरिए खुद की वीडियो बनाकर दुनिया के सामने अपना हुनर दिखाने का यह अच्छा मौका था। ऐसे में बच्चा हो या बड़ा सबने वीडियो बनाने शुरू किए।

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टिकटॉक बैन हुआ तो इंस्टाग्राम की रील्स सोशल मीडिया पर छाने लगीं। इससे कई हाउसवाइफ ने अपनी पढ़ाई-लिखाई के दम पर रील्स बनानी शुरू की। कुकिंग से लेकर कॉमेडी क्वींस तक बनीं।

कोई रिलेशिनशिप एक्सपर्ट बना, कोई हेल्थ कोच बना, लॉ की पढ़ाई कर चुपचाप घर बैठी महिला तक रील्स बनाने जुट गईं। हर तरफ उपायों, मशवरों की झड़ी लग गई और महिलाएं इन्फ्लुएंसर की गद्दी पर विराजमान हो गईं। यहीं से उनके बिजनेस को तरक्की का रास्ता मिला।

कई वर्किंग हाउसवाइफ सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर हैं।

हाउसवाइफ आज घर रहकर वर्किंग इसलिए बन पाई है क्योंकि वह खुद पढ़ी-लिखी है। उसे अपना काबिलियत पता है और सोशल मीडिया ने उसकी काबिलियत को तराशने में मदद की है जिसे वो बखूबी भूना भी रही है।

अमेरिका में वर्किंग हाउसवाइफ सबसे ज्यादा खुश

यूएस जनरल सोशल सर्वे ने 1972 से 2014 तक एक सर्वे किया। इसमें जॉब पर जाने वाली कामकाजी महिलाओं और हाउसवाइफ से पूछा गया कि वह कितनी खुश हैं। सर्वे में सबसे ज्यादा पार्ट-टाइम काम कर रहीं हाउसवाइफ ने खुशी जाहिर की और कहा कि वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट हैं।

यह अधिकतर महिलाएं मिडिल क्लास या अपर क्लास की 40 की उम्र के पार थीं। उन्होंने कहा कि वह वर्किंग हाउसवाइफ होते हुए घर भी संभाल रही हैं, कमा भी रही हैं और भविष्य के लिए बचत भी कर रही हैं। उन्हें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए हसबैंड पर निर्भर नहीं होना पड़ता।

I am working as an Editor in Bharat9 . Before this I worked as a television journalist with a demonstrated history of working in the media production industry (India News, India News Haryana, Sadhna News, Mhone News, Sadhna News Haryana, Khabarain abhi tak, Channel one News, News Nation). I have UGC-NET qualification and Master of Arts (M.A.) focused in Mass Communication from Kurukshetra University. Also done 2 years PG Diploma From Delhi University.

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