News Update: जानिए ‘दंगल’ फेम एक्ट्रेस सुहानी भटनागर की डर्मेटोमायोसाइटिस दुर्लभ बीमारी के बारे में, कैसे एंटीबायोटिक्स मौत की वजह बन सकती है

News Update: जानिए ‘दंगल’ फेम एक्ट्रेस सुहानी भटनागर की डर्मेटोमायोसाइटिस दुर्लभ बीमारी के बारे में, कैसे एंटीबायोटिक्स मौत की वजह बन सकती है

News Update: ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘दंगल’ की एक्ट्रेस सुहानी भटनागर का महज 19 साल की उम्र में निधन हो गया। सुहानी को डर्मेटोमायोसाइटिस नाम की दुर्लभ बीमारी थी।

इस रेयर बीमारी का ट्रीटमेंट स्टेरॉयड्स से ही संभव था। लेकिन स्टेरॉयड देने से सुहानी का इम्यून सिस्टम कमजोर होता चला गया। शरीर में इन्फेक्शन बढ़ा और फेफड़ों में पानी भरने लगा। उनके लंग्स इतने खराब हो चुके थे कि वेंटिलेटर पर भी ऑक्सीजन लेवल गिरता ही चला गया, जो आखिर में उनकी मौत की वजह बना।

इससे पहले सुहानी के पैर में फ्रैक्चर हुआ था। जिसके इलाज में उन्हें लगातार हाई एंटीबायोटिक्स दी जा रही थीं। विशेषज्ञों के मुताबिक उनका ऑटो इम्यून सिस्टम यहीं से खराब होना शुरू हुआ था। इसी के चलते डर्मेटोमायोसाइटिस नाम की बीमारी उन्हें मौत के मुंह तक ले गई। बाकी कसर पूरी की स्टेरॉयड की ओवर डोज ने।

कैसे एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉयड किसी को भी धीरे-धीरे मौत की ओर ले जा सकता है। यह जानेंगे कि-

-डर्मेटोमायोसाइटिस नाम की दुर्लभ बीमारी क्या है?

-एंटीबायोटिक्स के क्या नुकसान हैं?

-क्या एंटीबायोटिक्स मौत की वजह बन सकती है?

-क्या स्टेरॉयड्स जानलेवा हो सकते हैं?

सवाल: डर्मेटोमायोसाइटिस नाम की दुर्लभ बीमारी क्या है?

जवाब: डर्मेटोमायोसिटिस एक दुर्लभ बीमारी है। इसमें स्किन पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं, मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और सूजन बढ़ती जाती है। डर्मेटोमायोसिटिस क्यों होता है इसका कोई ज्ञात कारण नहीं है। हालांकि ऑटो इम्यून बीमारी के साथ इसके लक्षण मेल खाते हैं। इसमें आपके शरीर की ही एंटीबॉडीज स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर देती हैं। इसे ऐसे समझिए कि जिन सैनिकों पर किसी राज्य की रक्षा का जिम्मा था, वे ही अपने राज्य पर हमला कर दें। ऐसा हाई एंटीबोयोटिक्स के ज्यादा इस्तेमाल से भी हो सकता है।

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सवाल: एंटीबायोटिक्स कब दी जाती हैं, कैसे काम करती हैं?

जवाब: बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारियों के इलाज में एंटीबायोटिक्स बेहद कारगर होती हैं। यह दो तरीके से काम करती है।

शरीर में मौजूद बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारकर उसे कमजोर करती है।
जरूरत के हिसाब से शरीर में अच्छे बैक्टीरिया को पनपने में मदद करती है, जो खराब बैक्टीरिया से लड़ते हैं।
सवाल: एंटीबोयोटिक्स कब बनती है खतरा?

जवाब: हर बीमारी की वजह बैक्टीरिया नहीं होते। वायरस से होने वाली बीमारियों में भी लोग एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। जैसे- सांस नली से जुड़े इन्फेक्शन, सर्दी-जुकाम, गले में खराश, साइनस, निमोनिया और कान, सीने, स्किन के इन्फेक्शन तक में एंटीबायोटिक्स की गोलियां निगल रहे हैं। इसमें एंटीबायोटिक्स खाना सेहत के लिए खतरनाक है।

यह शरीर में इन्फेक्शन से लड़ने वाले गुड बैक्टीरिया को भी नष्ट करने लगती है। इससे खतरनाक बैक्टीरिया को शरीर पर हावी होने का मौका मिल जाता है। साथ ही बैड बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स से बचने के लिए तैयार हो जाता है। फिर उस पर दवाएं भी बेअसर हो जाती हैं। यह ऑटो इम्यून बीमारी के करीब ले जाता है।

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सवाल: क्या एंटीबोयोटिक्स का शरीर के अंगों पर बुरा असर हो सकता है?

जवाब: कानपुर में अर्मापुर के ऑर्डिनेंस हॉस्पिटल की प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर डॉ. दीप्ति शुक्ला के मुताबिक, एंटीबायोटिक्स के घातक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इससे सिरदर्द, बुखार जैसी समस्याएं तो हो ही सकती हैं। इनका दिल, मांसपेशियों और हड्डियों पर भी बुरा असर पड़ता है। ज्यादा एंटीबायोटिक्स खाने से लिवर और किडनी फेल होने का भी खतरा हो सकता है।

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन की रिपोर्ट्स के मुताबिक एंटीबायोटिक्स से हुए नुकसान की भरपाई में 6 महीने तक लग सकते हैं। उसके बाद भी शरीर का एनर्जी लेवल नॉर्मल नहीं हो पाता है। इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। दिल की बीमारियां, डायबिटीज के अलावा अल्जाइमर्स और पार्किंसन जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। कई बार तो ये दवाएं मौत की वजह भी बन सकती हैं।

सवाल: स्टेरॉयड्स क्या होते हैं, इनका इस्तेमाल कब होता है?

जवाब: स्टेरॉयड्स को लोग आमतौर पर एंटी-इंफ्लेमेट्री ड्रग के रूप में जानते हैं। वैसे इनका इस्तेमाल ऑटोइम्यून बीमारी होने पर किया जाता है। ये ऑटो इम्यून सिस्टम को कमजोर करके इस दुर्लभ बीमारी से किसी की जान बचाते हैं। लेकिन, इनके ओवरडोज से इम्यूनिटी बहुत कमजोर हो सकती है और कई इंफेक्शन होने का भी खतरा रहता है, जो मौत का कारण बन सकता है।

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सवाल: क्या स्टेरॉयड्स जानलेवा हो सकते हैं?

जवाब: कानपुर के हृदय रोग संस्थान के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अवधेश शर्मा के मुताबिक स्टेरॉयड आपात स्थितियों में ही दिया जाना चाहिए। इसके बहुत ज्यादा डोज नहीं दिए जा सकते हैं। इसके ओवरडोज से मरीज को इन्फेक्शन हो सकता है। इससे हार्ट, लिवर, किडनी, मसल्स पर दुष्प्रभाव पड़ते हैं। यह कई बार इतना ज्यादा होता है कि मौत का कारण भी बन सकता है।

सवाल: आप खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं?

जवाब: खुद को सुरक्षित रखने का सबसे आसान और सटीक तरीका है दवाओं के सेवन में सतर्कता बरतना।

जुकाम, बुखार या किसी इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक्स लेने से बचें।
डॉक्टर की सलाह लिए बिना कोई भी दवा न खरीदें और न खाएं।
इलाज के समय अपनी पुरानी बीमारियों के बारे में जरूर बताएं।
सोशल मीडिया देखकर स्टेरॉयड्स के खुद इस्तेमाल से बचें।
किसी सीनियर डॉक्टर की सलाह के बाद विशेष स्थिति में ही स्टेरॉयड्स लें।

I am working as an Editor in Bharat9 . Before this I worked as a television journalist with a demonstrated history of working in the media production industry (India News, India News Haryana, Sadhna News, Mhone News, Sadhna News Haryana, Khabarain abhi tak, Channel one News, News Nation). I have UGC-NET qualification and Master of Arts (M.A.) focused in Mass Communication from Kurukshetra University. Also done 2 years PG Diploma From Delhi University.

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