WFI Suspension: भारतीय कुश्ती संघ पर सख्त फैसला ले दिया सरकार ने ये कड़ा संदेश, खेल एथिक्स और संविधान का हुआ उल्लंघन

WFI Suspension: भारतीय कुश्ती संघ पर सख्त फैसला ले दिया सरकार ने ये कड़ा संदेश, खेल एथिक्स और संविधान का हुआ उल्लंघन

WFI Suspension: हाल ही में चुने गए भारतीय कुश्ती संघ (WFI) पर केंद्र सरकार ने बड़ा एक्शन किया है। खेल मंत्रालय ने पूरी फेडरेशन को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया है। वहीं WFI अध्यक्ष संजय सिंह समेत सभी सदस्यों को भी निलंबित कर दिया है। इस आदेश में संजय सिंह द्वारा जारी सभी आदेशों पर रोक लगा दी गई है। WFI के चुनाव के बाद से ही अध्यक्ष संजय सिंह विवादों में थे। चुनाव के बाद पहलवान साक्षी मलिक ने संजय सिंह को पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह का करीबी होने का आरोप लगाते हुए कुश्ती से संन्यास ले लिया था। खेल मंत्रालय के इस आदेश की पांच बड़ी बातें यहां समझ लीजिए।
1. WFI ने जल्दबाजी में लिए गोंडा में प्रतियोगिता के फैसले
खेल मंत्रालय ने अपने आदेश में WFI को रद्द करने की वजह बताते हुए कहा है कि नए अध्यक्ष 21 दिसंबर को चुने गए, उसके तुरंत बाद उन्होंने गोंडा में अंडर-15 और अंडर-20 वर्ग की साल खत्म होने से पहले नेशनल प्रतियोगिताओं की घोषणा कर दी। यह घोषणा जल्दबाजी में की गई है, प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले पहलवानों को इसकी न पर्याप्त सूचना दी गई और न ही WFI के संविधान के प्रावधानों का पालन किया गया।

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2. ‘पुराने अधिकारियों के कंट्रोल में है WFI’
खेल मंत्रालय ने अपने नोटिस में बृजभूषण शरण सिंह को साफ संदेश दिया है। नोटिस में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि नवनिर्वाचित फेडरेशन खेल एथिक्स की अवहेलना करते हुए पूर्व पदाधिकारियों के कंट्रोल में है। नोटिस में आगे कहा गया है कि फेडरेशन का कारोबार पूर्व पदाधिकारियों के नियंत्रण वाले परिसर से चलाया जा रहा है, जहां खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था और ये मामला अदालत में चल रहा है। बता दें कि WFI चुनावों के नतीजों का ऐलान होने के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने कई बयान दिए और संजय सिंह को अपना करीबी बताया।

3. ‘WFI ने संविधान का नहीं किया पालन’
नोटिस में कहा गया है कि WFI के संविधान की प्रस्तावना के खंड-3 के अनुसार, फेडरेशन का उद्देश्य कार्यकारी समिति द्वारा चयनित स्थानों पर UWW नियमों के अनुसार सीनियर, जूनियर और सब जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित करने की व्यवस्था करना है। ऐसे निर्णय कार्यकारी समिति द्वारा लिए जाते हैं, जिसके सामने एजेंडे को विचार के लिए रखा जाना आवश्यक होता है। इसके लिए बैठक होती है, नोटिस देना होता है, कोरम पूरा करना होता। इस सभी में 15 दिन का वक्त का प्रावधान है, लेकिन WFI के फैसले में इन नियमों का ध्यान नहीं रखा गया।

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4. ‘WFI के फैसलों से नई फेडरेशन की मनमानी की बू आ रही’
नोटिस में कहा गया है कि नए फेडरेशन के इन कामों से मनमानी की बू आती है, जो सुशासन के स्थापित सिद्धांतों के खिलाफ है और पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया नहीं है। निष्पक्ष खेल, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए नियमों का पालन जरूरी है। एथलीटों, हितधारकों और जनता के बीच विश्वास बनाना महत्वपूर्ण है।

5. खेल एथिक्स और संविधान का किया उल्लंघन
खेल मंत्रालय ने कहा कि WFI के नवनिर्वाचित निकाय द्वारा लिए गए फैसले स्थापित कानूनी और प्रक्रियात्मक मानदंडों के प्रति घोर उपेक्षा दर्शाते हैं, जो डब्ल्यूएफआई के संवैधानिक प्रावधानों और राष्ट्रीय खेल विकास संहिता दोनों का उल्लंघन करते हैं। इसके अलावा, कुश्ती के लिए अंतर्राष्ट्रीय निकाय, UWW ने अभी तक WFI के निलंबन को हटाने के लिए आधिकारिक नोटिस जारी नहीं किया है।

I am working as an Editor in Bharat9 . Before this I worked as a television journalist with a demonstrated history of working in the media production industry (India News, India News Haryana, Sadhna News, Mhone News, Sadhna News Haryana, Khabarain abhi tak, Channel one News, News Nation). I have UGC-NET qualification and Master of Arts (M.A.) focused in Mass Communication from Kurukshetra University. Also done 2 years PG Diploma From Delhi University.

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