Haryana Padamshree Winner: हरियाणा के गुरविंदर सिंह को पद्मश्री अवार्ड, खुद व्हील चेयर पर होते हुए भी लोगों के लिए खोला आश्रम

 Haryana Padamshree Winner: हरियाणा के गुरविंदर सिंह को पद्मश्री अवार्ड, खुद व्हील चेयर पर होते हुए भी लोगों के लिए खोला आश्रम

Haryana Padamshree Winner: कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता। एक पत्थर तो तबियत से उछलो यारो। इन पंक्तियों को सार्थक कर रहे हैं हरियाणा के सिरसा के 55 वर्षीय भाई गुरविंदर सिंह। गुरविंदर सिंह को चलने के लिए दूसरों की मदद की जरूरत पड़ती है, लेकिन मानव कल्याण की भावना इस कद्र है कि वे बेघर, निराश्रित व असहाय लोगों का सहरा बने हुए हैं। व्हील चेयर पर घुमने वाले गुरविंदर को सिरसा का बच्चा-बच्चा जानता है। उन्होंने गरीब परिवारों के बच्चों के लिए स्कूल खोला हुआ है और अस्पताल में मरीजों के लिए संस्था के माध्यम से खाना उपलब्ध करवा रहे हैं। उनकी संस्था भाई कन्हैया मानव सेवा ट्रस्ट मुफ्त एंबुलेंस सेवा, पौधारोपण व रक्तदान शिविर लगाने में अग्रीण है। इन्हीं उत्कृष्ट सेवाओं के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा है। पद्मश्री अवार्ड मिलने पर उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला व सिरसा के उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने उन्हें बधाई और भविष्य में अधिक ऊर्जा के साथ मानवता भलाई कार्य करने की शुभकामना की है। उपमुख्यमंत्री ने भाई कन्हैया आश्रम में जाकर मुख्य सेवादार गुरविंदर सिंह को पद्मश्री मिलने पर शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भाई कन्हैया आश्रम संस्था वास्तव में जरूरतमंदों लोगों की शिद्दत से सेवा कर रही है और भाई गुरविंदर सिंह ने समाज सेवा में अनुकरणीय कार्य किया है। अन्य लोगों ने भी उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। इसके अलावा जिला की सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं, गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाई गुरविंदर सिंह को बधाई दी है।

4 जनवरी 1969 को सिरसा में जन्मे गुरविंदर सिंह पेशे से कृषि उपकरणों के मैकेनिक रहे हैं और अपने परिवार के साथ हंसी-खुशी जीवन यापन कर रहे थे। एक सड़क हादसे ने उनकी जिंदगी ही बदल दी। वे स्कूटर से ससुराल से सिरसा  लौट रहा थे, तभी तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी। इस हादसे में वे गंभीर रुप से घायल हो गए। चार माह के लंबे उपचार के बाद शरीर पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो पाया और चिकित्सकों ने एक पैर, पंसली व रीढ की हड्डी टूटने के बाद उनके शरीर के एक हिस्से के लकवा ग्रस्त होने की जानकारी दी।

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निराशा के भाव मिटा अस्पताल से ही नई राह पकड़ने का लिया संकल्प

27 वर्ष की उम्र में दुर्घटना का शिकार हुए गुरविंदर सिंह ने डाक्टर के उन शब्दों से आघात लगा कि ‘व्हील चेयर पर रहना पड़ेगा, उठ कर चल नहीं पाओगे’, लेकिन गुरविंदर सिंह ने हौसला नहीं खोया। उन्होंने युवाओं की एक मंडली देखी, जो कि अस्पताल में हर बैड पर दूध और ब्रेड परोस रही थी। तभी से उन्होंने ठान लिया था को वे मानवता की सेवा में अपना जीवन लगा देंगे। डीएमसी लुधियाना से छुट्टी मिलने के बाद गुरविंदर सिंह ने दोस्तों से सलाह की और उनको बताया कि अब वे व्हील चेयर पर रहते हुए भी समाज सेवा करेंगे। अगली सुबह दोस्तों के साथ मिलकर सिख इतिहास के महान व्यक्तित्व गुरु गोबिंद सिंह के शिष्य भाई कन्हैया के नाम पर समिति पंजीकृत करवाई गई। एक जनवरी 2005 को सिविल अस्पताल में मरीजों को दूध परोसने की सेवा शुरु कर दी।

वर्ष 2008 में शुरू हो पाया नया संकल्प

भाई गुरविंदर सिंह का दूसरा संकल्प 23 जुलाई 2008 को तब पूरा हुआ, जब उनकी संस्था ने सिरसा में दुर्घटना में घायल लोगों के लिए मुफ्त एंबुलेंस सेवा शुरु की। बस एक नंबर डायल करते ही उनकी गाड़ी घायल को दुर्घटना स्थल से उठा सामान्य अस्पताल पहुंचाने लगी। अब उनकी संस्था के पास ऐलनाबाद, रानियां सहित कुल 9 एंबुलेंस हैं, जिनके जरिये 3772 दुर्घटनाग्रस्त लोगों को और 2426 गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाया है। भाई गुरविंद्र सिंह जब दुर्घटनाग्रस्त हुए थे, तब उन्हें एंबुलेंस नहीं मिल पाई थी। तभी से उनके मन में यह विचार कौंध रहा था कि वे एंबुलेंस सेवा शुरू करेंगे। आज उनकी एंबुलेंस सेवा सिरसा में सड़क हादसों में घायलों को एक बड़ी राहत प्रदान कर रही है।

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महिला को तो नहीं बचा पाए, अब सैंकड़ों महिलाओं को दे रहे हैं आसरा

गुरविंदर सिंह को अक्टूबर 2010 में एक और घटना ने झकझोर कर रख दिया। हुआ यूं कि सिरसार के माल गोदाम रोड, रेलवे स्टेशन पर एक मानसिक रुप से विक्षिप्त महिला अर्धनग्न कूड़ेदान में फैंका गया खाना खा रही थी। उन्होंने उस महिला को किसी आश्रम में भिजवाने का प्रयास किया तो, अमृतसर की एक संस्था का नाम सामने आया। उसी दौरान तब संस्था की ओर से बताया गया कि महिला का मेडिकल और पुलिस एफआईआर दर्ज करवाने के बाद उसे संस्था में छोड़ा जा सकता है। किसी कारण से कोई आधिकारिक आईडी न होने के कारण महिला की एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई और इसी दौरान महिला की मौत हो गई। इसके बाद गुरविंद्र सिंह ने ऐसी महिलाओं और निराश्रित लोगों के लिए भाई कन्हैया आश्रम खोलने का संकल्प लिया। महिला पोलिटेक्निक के पीछे दानदाता गुरशरण कालड़ा ने 200 गज जमीन भी दी और 8 मार्च 2011 को भाई कन्हैया आश्रम की आधारशिला ऑल इंडिया पिंगलवाड़ा अमृतसर की चेयरपर्सन बीबी इंदरजीत कौर द्वारा रखी गई। ट्रस्ट ने दानदाताओं की मदद से इसी जगह के नजदीक 400 गज जमीन और खरीदी तथा यहां निराश्रित, मानसिक रुप से कमजोर, बेघर महिलाओं और अनाथ बच्चों के लिए आश्रम बन गया है। ट्रस्ट की ओर से ही सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई है ओर पुनर्वास कार्यक्रम के तहत एक व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्र भी खोला गया है। महिलाएं व बच्चों की संख्या बढ़ने के चलते भाई कन्हैया आश्रम द्धितीय का भवन गांव मोरीवाला के पास एक एकड़ में तैयार की गई है, 15 मई 2015 को इसकी आधारशिला रखी गई और 20 मार्च 2016 को मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर द्वारा इसका उद्घाटन किया गया।

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गरीब बच्चों के जीवन में शिक्षा की लौ जगाने के लिए खोला भाई कन्हैया पब्लिक स्कूल

भाई कन्हैया ट्रस्ट की ओर से गरीब परिवारों के बच्चों के लिए सीबीएसई पैटर्न पर स्कूल खोला गया है जिसमें किसी भी बच्चे से किसी प्रकार की कोई फीस नहीं ली जा रही। यहां परिवहन सुविधा, स्कूल ड्रेस, पाठ्य पुस्तकें व भोजन की व्यवस्था सब स्कूल की ओर से की जा रही है। निकट भविष्य में स्कूल को और अधिक आगे बढ़ाने का विचार है। इस स्कूल में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों के अलावा उन बच्चों को भी दाखिला दिया जा रहा है जिन्होंने अपने माता पिता को खो दिया है या किसी छात्र के माता पिता बीमार है और वे बच्चे की शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकते।

I am working as an Editor in Bharat9 . Before this I worked as a television journalist with a demonstrated history of working in the media production industry (India News, India News Haryana, Sadhna News, Mhone News, Sadhna News Haryana, Khabarain abhi tak, Channel one News, News Nation). I have UGC-NET qualification and Master of Arts (M.A.) focused in Mass Communication from Kurukshetra University. Also done 2 years PG Diploma From Delhi University.

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