Haryana News: राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायाधीशों ने की सुनवाई, आपसी सहमति से 2738 में से 1803 मामलों का हुआ निपटान

Haryana News: राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायाधीशों ने की सुनवाई, आपसी सहमति से 2738 में से 1803 मामलों का हुआ निपटान

Haryana News: राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण (नालसा) के सौजन्य से हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण (हालसा), पंचकूला के सदस्य सचिव से प्राप्त दिशा निर्देशानुसार आज जिला व उपमंडल स्तर पर न्यायिक परिसरों में राष्ट्रीय लोक अदालतें आयोजित कर विभिन्न प्रकार के मामलों की सुनवाई की गई।

मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की सचिव कविता यादव ने बताया कि जिला स्तर पर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संदीप दुग्गल, प्रधान न्यायाधीश (परिवार न्यायालय) श्री राजेश कुमार, सुश्री अंजलि जैन, एलडी. सीजे (एसडी)-सह-एसीजेएम, सुश्री शशि बाला चौहान, अध्यक्ष, पीएलए (पीयूएस), सुश्री नेहा गोयल, एलडी. एसीजे-सह-एसडीजेएम, पुन्हाना, श्री. प्रदीप, एल.डी. जेएमआईसी, फिरोजपुर झिरका की अदालतों में मामलों की सुनवाई की गई।

शनिवार को न्यायाधीशों ने राष्ट्रीय लोक अदालत में 2738 मामलों की सुनवाई करते हुए 1803 मामलों का निपटारा आपसी सहमति से किया जबकि 8 करोड़, 54 लाख, 22 हजार 686 रुपये की राशि जुर्माना व समझौता के रूप में पास की गई।

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सीजेएम कविता यादव ने बताया कि प्री-लिटिगेशन के मामलों में 351 में से 351 मामलों का निपटारा किया गया जबकि 12 लाख 46 हजार रुपये की राशि जुर्माना व समझौता के रूप में पास की गई। इसी प्रकार से कोर्ट में लंबित मामलों के 268 मामलों में से 128 मामलों का निपटारा किया गया जबकि 2 करोड 94 लाख 71 हजार 779 रुपये की राशि जुर्माना व समझौता के रूप में पास की गई। उन्होंने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री सुशील कुमार के मार्गदर्शन में शनिवार को आयोजित इस राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायाधीशों ने अपराधिक मामलों, एनआई एक्ट 172, एमएसीटी, वैवाहिक, श्रम, भूमि अधिग्रहण, किराया, बैंक रिकवरी, राजस्व, मनरेगा, बिजली व पानी बिल, वन अधिनियम, आपदा मुआवजा इत्यादि अन्य मामलों की सुनवाई की।

सीजेएम कविता यादव ने कहा कि लोक अदालत की यही पुकार, न किसी की जीत न किसी की हार को ध्यान में रखकर दोनों पक्षों की आपसी सहमति से मामलों का निपटान किया जाता है। मामलों का निपटान दोनों पक्षों की आपसी सहमति से होता है, इसलिए फैसले को अन्य किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया है कि वे अपने मामलों का समाधान लोक अदालत के माध्यम से करवाए, ताकि उनके समय व धन की बचत हो सके। उन्होंने अधिवक्ताओं से भी कहा कि वे जागरूकता शिविरों के माध्यम से नागरिकों को उनके कोर्ट में लंबित मामलों का निपटान लोक अदालत से करवाने बारे ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें।

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