EXCLUSIVE INTERVIEW AJAYDEEP LATHAR WITH RANJEET CHAUTALA: हिसार से बीजेपी कैंडिडेट रणजीत चौटाला की वरिष्ठ पत्रकार अजयदीप लाठर के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत

EXCLUSIVE INTERVIEW AJAYDEEP LATHAR WITH RANJEET CHAUTALA: हिसार से बीजेपी कैंडिडेट रणजीत चौटाला की वरिष्ठ पत्रकार अजयदीप लाठर के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत

Exclusive interview: देश की राजनीति से कांग्रेस को साइड करने व दो प्रधानमंत्री बनवाने में अहम भूमिका निभाने वाले चौधरी देवीलाल के कारण हिसार लोकसभा क्षेत्र इस बार कुछ ज्यादा ही चर्चा में हैं। यहां से भाजपा, कांग्रेस, इनेलो, जजपा उम्मीदवार का किसी न किसी कारण चौधरी देवीलाल से संबंध है। उनका एक बेटा, दो पौत्र वधु व एक कार्यकर्ता मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं। उनके बेटे व भाजपा उम्मीदवार *चौधरी रणजीत सिंह* से *वरिष्ठ पत्रकार अजय दीप लाठर* ने लंबी बातचीत की। पेश हैं कुछ अंश :

 

प्रश्न : 1998 के बाद आज फिर आप हिसार से मैदान में हैं, तब और अब में क्या बदलाव देखते हैं?

 

उत्तर : उस वक्त एक अलायंस था, बीजेपी और इनेलो का। सभी 10 सीट वो जीत गए थे। उस वक्त वह बड़ा अलायंस था। मेरे और जिंदल साहब समेत तमाम उम्मीदवार हार गए थे। आज परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं।

 

प्रश्न : आप लंबे अरसे से हर महीने हिसार जरूर आते रहे हैं, क्या लंबे समय से यहां अपने लिए जमीन तैयार कर रहे थे?

 

उत्तर : लोकसभा चुनाव दिमाग में नहीं था। लेकिन, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद चौधरी देवीलाल का स्ट्रांग होल्ड था। दो जिले रोहतक, सोनीपत हुड्डा के पास चले गए थे। बाकी, पानीपत, पलवल, बावल ये सब चौधरी देवीलाल का एरिया था। कोशिश ये थी कि सिरसा, फतेहबाद व हिसार इन दो लोकसभा पर मेरा प्रभाव रहे, इसलिए हिसार रेगुलर आता रहता था। मैंने भजनलाल जी के खिलाफ चुनाव लड़ा तो लोगों ने प्रश्न किया कि रणजीत सिंह कहां मिला करेगा? तो मैंने कहा कि हर महीने की 5 तारीख को हिसार आया करूंगा। 17 साल से इस कमिटमेंट को पूरा कर रहा हूं।

 

प्रश्न : जलेबी के लिए गोहाना प्रसिद्ध है। हर जलेबी की दुकान पर लिखा है मातूराम। ऐसे ही आज चौधरी देवीलाल की विरासत को हर कोई क्लेम कर रहा है, तो असली वारिश कौन?

 

उत्तर : 1987 में मेरा और ओमप्रकाश जी का ये रहता था, एक धड़ा उनके साथ था, मेरे साथ ज्यादा विधायक थे। जब यह आम सवाल था कि चौधरी देवीलाल सेंटर में चले जाएंगे तो हरियाणा में उत्तराधिकारी कौन बनेगा? यह सवाल उनसे भी पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि यह देवीलाल तय नहीं करेगा, जनता तय करेगी। आज मेरा भी यही कहना है कि जनता तय करेगी, कि उनका उत्तराधिकारी कौन। हम तीनों लड़ रहे हैं, जिसको ज्यादा वोट मिलेंगी, वह उत्तराधिकारी हो जाएगा।

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प्रश्न : जब चौधरी देवीलाल देश की राजनीति में चले गए थे तो उस समय नेताओं ने पूछा था कि वे उनके पीछे से किससे बात करें? यह किस्से पुराने नेता सुनाते भी हैं, कहते हैं कि उन्होंने सिरसा कोठी का नंबर दिया था और कहा था कि संदीप (आपका दिवंगत बेटा) फोन पर मिलेगा, जो वह बोले समझना, मैंने कहा है। तो क्या असली विरासत के हकदार आप या आपका परिवार?

 

उत्तर : वह मकान चौधरी देवीलाल का था, मेरे से पहले ओमप्रकाश जी उसमें रहते थे। 1980 में हमारा बंटवारा हो गया तो मैं उस हाउस में शिफ्ट कर गया। मैं अब भी उसी हाउस में रहता हूं। उसी मकान का टेलीफोन नंबर दिया गया था। संदीप मेरा बेटा था और यह संभव है कि किसी से निजी वार्ता में चौधरी देवीलाल ने कह दिया हो। हां, संदीप उस नंबर पर ही बैठता था।

 

प्रश्न : महम कांड हरियाणा की चुनावी राजनीति का काला अध्याय है। ग्रीन ब्रिगेड को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। ग्रीन ब्रिगेड क्या थी?

 

उत्तर : ग्रीन ब्रिगेड का 87 में बहुत बोलबाला था। यह एक ऐसी सेना थी, जिसका उस उक्त मैंने भी विरोध किया था। कहा था, कि ग्रीन ब्रिगेड जहां होगी, हम उस फंक्शन में नहीं जाएंगे। ग्रीन ब्रिगेड एक बदनाम एलीमेंट था, जिसमें राउडीज्म था। प्रॉपर्टी कब्जा लेते थे, रेहड़ी लूट लेते थे। प्रचार चलता था कि जहां लोकदल की सभा होगी, वहां दुकान-रेहड़ी लूट ली जाएंगी। ग्रीन ब्रिगेड का सरगना जयप्रकाश था और महम कांड का सरगना भी जयप्रकाश था। जयप्रकाश बहुत बदनाम हो गया था।

 

प्रश्न : आपके मुंह से सुनते आए हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा आपके अच्छे साथी हैं, लेकिन अब आप लगातार हुड्डा पर आक्रामक हैं, क्या कारण?

 

उत्तर : देखिए, मैं हुड्डा के पर्सनल लेवल पर कोई आक्रामक नहीं हूं। मैं इसलिए कर रहा हूं कि मैंने देखा कि हुड्डा ने किसी को भी नहीं बख्शा। पिछले चुनाव में मेरे साथ जो किया मैं भूल गया, चलो कोई बात नहीं। अब उनके निजी रिश्तेदार थे, करण दलाल। उनका टिकट नहीं होने दिया। चौधरी बीरेंद्र सिंह, बृजेंद्र गए तो राहुल-सोनिया से बात करके ही गए। मामा-बुआ के लड़के हैं, उनका भी टिकट… मुझे याद है चौधरी बीरेंद्र सिंह मेरे से भी पुराने एमएलए रहे। उन्होंने ही हुड्डा की कांग्रेस में एंट्री कराई, 1991 में टिकट भी हुड्डा को बीरेंद्र सिंह ही दिला कर लाए थे। न हुड्डा को कोई जानता था, न उनके फादर को, जबकि चौधरी छोटूराम तो बहुत ही मेच्योर आदमी थे। मेरा ये कहना है कि हुड्डा ने किसी को नहीं बख्शा, न कुमारी सैलजा को, न चौधरी बीरेंद्र सिंह को, न किरण चौधरी को। मेरा कहने का मतलब है कि हुड्डा के कारण आज रणदीप भी बाहर, सैलजा भी बाहर, किरण भी बाहर, बीरेंद्र भी बाहर, कैप्टन अजय भी बाहर, रणजीत सिंह भी बाहर, अवतार भड़ाना भी बाहर, राव इंद्रजीत भी बाहर। जितने कांग्रेस के मेन आदमी थे, आज सब बाहर या साइड में खड़े हैं। और, हुड्डा ने अपने बेटे को, केवल-केवल दीपेंद्र चीफ मिनिस्टर बने, उस पर ध्यान लगाया हुआ है, उसे कांग्रेस से भी कोई लिहाज नहीं है। दूसरा क्षेत्रवाद। जब दस साल हुड्डा को मिले तो वह बदनाम हुआ कि पैसा लगाया तो रोहतक जिले में, नौकरी लगाई तो रोहतक जिले में। उन दिनों मशहूर था कच्ची-पक्की पेंसिल। कच्ची पेंसिल से इंटरव्यू के मार्क्स लगाए जाते थे, रबड से मिटो कर फिर पक्के मार्क्स लगाए जाते थे। जिसको हुड्डा अप्रूव करता था, वही नौकरी लगता था। इंस्टिट्यूशनल प्लॉट हुए, स्काईलाइट का मामला सामने आया, इतने स्कैंडल किए, खूब सीबीआई की रेड हुई। इसलिए मैं जो कह रहा हूं, ऑन रिकॉर्ड जो चीजें हैं, मैं उनका जिक्र कर रहा हूं। उनके व्यक्तिगत जीवन पर कुछ जिक्र नहीं। हुड्डा आज भी मेरा दोस्त है, हम इकट्ठे रहे हैं।

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प्रश्न : अब थोड़ा कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति पर। एक वायरल विडियो में प्रदेश अध्यक्ष उदयभान कहते हैं कि किरण चौधरी की हैसियत नहीं कि उनसे सलाह-मशवरा किया जाए। क्या यह चौधरी बंसीलाल के परिवार का अपमान नहीं?

 

उत्तर : देखिए, किरण का अपना एक कद है। चौधरी बंसीलाल 68 में चीफ मिनिस्टर बने। फुल टाइम सीएम थे। केंद्र में भी बड़े पद संभाले। उदयभान कहीं हैं ही नहीं। उदयभान को तो कोई प्रेजिडेंट बनने से पहले जानता ही नहीं था, उदयभान की हैसियत क्या है। उदयभान अब भी कुछ नहीं है, वह तो डमी है। उसको यह भी नहीं पता कि कांग्रेस क्या है। उस पर कमेंट करना या मीडिया भी उसकी बात को सुनता है तो यह नासमझी है। उसके हलके में भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाएगा तो 5 हजार वोट पड़ेंगे, उसके अपने वोट भी नहीं हैं।

 

प्रश्न : आपके विरोधी कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश के किसी भी होर्डिंग, प्रचार सामग्री पर हिसार लोकसभा क्षेत्र के किसी भी ऐसा नेता का नाम-फोटो नहीं है, जिनका अपने-अपने इलाके में प्रभाव हो। आप क्या कहेंगे?

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उत्तर : इससे बड़ी बात बताता हूं, जिस दिन जयप्रकाश का नोमिनेशन हुआ था, ये ट्रक पर खड़ा था। उसके फेसिंग साइड एक तरफ भूपेंद्र सिंह हुड्डा व जयप्रकाश, दूसरी तरफ उदयभान व दीपेंद्र हुड्डा का फोटो था। सोनिया गांधी व राहुल गांधी का भी फोटो नहीं था। स्टेट के किसी भी नेता का नाम तक नहीं था। मुझे तो यह लग रहा है कि हुड्डा ये तैयारी कर रहे हों कि विधानसभा चुनाव से पहले कोई रिजनल पार्टी बनाकर किसी से अलायंस न कर लें। मुझे नहीं लगता कि वह कांग्रेस में रहेंगे, जब सब नेताओं को काट दिया, रिजल्ट भी जीरो आएगा। रिजल्ट जीरो आएगा तो न तो उदयभान प्रेजिडेंट रहेंगे न ही हुड्डा साहब की ऊपर दिल्ली में रहेगी।

 

प्रश्न : इस चुनाव में एक तरफ चौधरी देवीलाल का अपना बेटा, दूसरी तरफ उनका एक कार्यकर्ता। वो भी चौधरी देवीलाल का नाम प्रयोग कर रहे हैं, क्या कहना चाहेंगे?

 

उत्तर : ये चापलूस किस्म का आदमी है। टीकाराम का ड्राइवर होता था। ये कंबाइन चलाया करता था। ये राजनीतिक आदमी नहीं था, ग्रीन ब्रिगेड का था। चौधरी देवीलाल जैसे डेमोक्रेट आदमी का कार्यकर्ता नहीं था, ओमप्रकाश जी का कार्यकर्ता था। उस वक्त सरकार में सबकुछ मैं था, मैं इसको दूर रखता था, कभी नजदीक आने भी नहीं देता था। मैं ग्रीन ब्रिगेड का ऑन रिकॉर्ड विरोध करता था। चौधरी देवीलाल तो इन्हें पसंद ही नहीं करते थे।

 

अजय दीप लाठर, लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं।

I am working as an Editor in Bharat9 . Before this I worked as a television journalist with a demonstrated history of working in the media production industry (India News, India News Haryana, Sadhna News, Mhone News, Sadhna News Haryana, Khabarain abhi tak, Channel one News, News Nation). I have UGC-NET qualification and Master of Arts (M.A.) focused in Mass Communication from Kurukshetra University. Also done 2 years PG Diploma From Delhi University.

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