Research on Brown Eyes: कहीं आपकी भी तो ऐसे रंग की आँखे नहीं है, आपके अपने न हो जाए इनकी वजह से आपसे दूर

Research on Brown Eyes: कहीं आपकी भी तो ऐसे रंग की आँखे नहीं है, आपके अपने न हो जाए इनकी वजह से आपसे दूर

Research on Brown Eyes: इस रिसर्च से यह दिखता है कि आंखों के रंग से किसी के विश्वासनीयता पर कोई सीधा संबंध नहीं होता है। व्यक्ति की विश्वासनीयता उसके व्यवहार, कौशल, और व्यक्तिगत गुणों पर निर्भर करती है, जो कि उसके चेहरे के रंग से नहीं बल्कि उसके कर्मों और विचारों से आती है।

किसी की आंखों के रंग पर आधारित स्टीरियोटाइप्स और उनका विश्वासनीयता से संबंधित नहीं होना चाहिए। हर व्यक्ति अपनी विशेषता और योग्यताओं के माध्यम से महत्वपूर्ण होता है, जो कि उसके असली मूल्यों को प्रकट करता है। इसलिए, हमें इस तरह की सामाजिक स्टीरियटाइप्स को छोड़कर सभी व्यक्तियों को उनकी असली शक्तियों और क्षमताओं के आधार पर मूल्यांकन करना चाहिए।

आंखों के रंग से व्यक्ति की चालाकी या धोखेबाजी का कोई सीधा संबंध नहीं होता है, और इस प्रकार के स्टीरियोटाइप्स पर भरोसा करना अनुचित हो सकता है। व्यक्ति के विचार, आचरण, और नैतिकता को मूल्यांकन करने के लिए व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए और उसकी वास्तविक पहचान को समझने के लिए उसके संबंध, उपलब्धियां, और सामाजिक सांघर्षिकता को ध्यान में रखना चाहिए।

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क्या सच में ऐसा है?
प्राग में आंखों को लेकर एक रिसर्च की गई. जिसमें भूरी आंखों वाले लोग और नीली आंखों वाले लोग शामिल थे. इस स्टडी को तीन भागों में बांटा गया था. पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ़ साइंस की स्टडी के पहले हिस्से में आंखों के रंग को लेकर 40 पुरुष और 40 महिलाओं पर टेस्ट हुआ उसमें रिजल्ट यह था की नीली आंखों वालों से ज्यादा भूरी आंखों वाले विश्वासनीय लग रहे थे.

स्टडी के दूसरे भाग में महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग करके अध्ययन किया गया तो इसमें नीली आंखों वाले पुरुष भूरी आंखों वाले पुरुषों की तुलना में ज्यादा भरोसेमंद थे स्टडी के तीसरे भाग में रिसर्च कर रही टीम ने पुरुष और स्त्रियों के चेहरे वही रख लेकिन उनकी आंखों का रंग बदल दिया इससे परिणाम भी बदल गया अंत में स्टडी में यही पाया गया की आंखों के रंग का विश्वसनीयता से कोई लेना देना नहीं है.

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